संविधान पाठ का वक्त


भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर की जमानत याचिका की सुनवाई पर दिल्ली में तीस हजारी कोर्ट की एडिशनल सेशन जज कामिनी लाउ ने जो टिप्पणी की, वो थी तो दिल्ली पुलिस के लिए, लेकिन उस पर सभी को गौर फरमाने की जरूरत है। चंद्रशेखर 21 दिसंबर से पुलिस हिरासत में हैं। उन्होंने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन में हिस्सा लेते हुए ऐलान किया था कि वे संविधान की प्रति हाथ में लेकर जामा मस्जिद से जंतर-मंतर तक मार्च करेंगे और धरने पर बैठेंगे। जब चंद्रशेखर जामा मस्जिद पहुंचे तो उन पर भीड़ को उकसाने का आरोप लगाते हुए दिल्ली पुलिस ने हिरासत में ले लिया। उनके साथ गिरफ्तार अन्य 15 लोगों को 9 जनवरी को ही जमानत दे दी गई थी, लेकिन चंद्रशेखर को जमानत नहीं मिली थी। जेल में उनकी सेहत बिगड़ने की खबरें भी आती रहीं। बीते सप्ताह ही एक अदालत ने उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती करने का आदेश दिया था। दिल्ली पुलिस ने इस पर भी आपत्ति जतलाई थी, जिस पर अदालत ने पूछा भी था कि क्या जेल मैन्युअल में कोई खास प्रावधान है जिसके अनुसार उन्हें एम्स नहीं ले जाया जा सकता। दरअसल सीएए के खिलाफ प्रदर्शनकारियों पर दिल्ली पुलिस जिस तरह की कार्रवाई कर रही है, उससे शुरु से उसकी कर्त्तव्यपरायणता पर सवाल उठे हैं।  जामिया विवि और जेएनयू में उसकी पक्षपातपूर्ण कार्रवाइयों पर सवाल समाज की ओर से उठे, लेकिन चंद्रशेखर मामले में तो अदालत ने ही सवाल उठाए हैं।
दिल्ली पुलिस के वकील से जज कामिनी लाउ ने चंद्रशेखर पर लगे आरोपों के सबूत के बारे में पूछा तो उनके पास कोई जानकारी नहीं थी। अदालत ने कहा कि पुलिस ऑन रिकॉर्ड वो सारे सबूत रखे जिनसे यह स्पष्ट होता है कि जामा मस्जिद में जुटे लोगों के बीच चंद्रशेखर आजाद भड़काऊ भाषण दे रहे थे और कोई भी $कानून बताए जिससे यह साबित हो कि लोगों का वहां जमा होना $गैरकानूनी था। जज कामिनी लाउ ने सरकारी वकील से कहा कि मुझे कोई सबूत दिखाइए या किसी $कानून का जिक्र करिए जिसमें लोगों के इस तरह के जमावड़े को $गलत बताया गया हो। हिंसा कहां हुई? कौन कहता है कि विरोध प्रदर्शन नहीं किया जा सकता? क्या आपने संविधान पढ़ा है? विरोध-प्रदर्शन हर व्यक्ति का संवैधानिक अधिकार है। इस सख्त टिप्पणी के अलावा उन्होंने एक और बेहद जरूरी बात कही कि लोग इसीलिए प्रदर्शन कर रहे हैं कि संसद में जो बातें कही जानी चाहिए थीं वे नहीं कही गईं। यह बात सत्ता में बैठे तमाम लोगों को आईना दिखाने की तरह है, जो इस वक्त देश को अपनी जागीर समझकर जनता पर राज करने की कोशिश कर रहे हैं। लोकतंत्र में आम जनता इसी उम्मीद के साथ किसी को अपना प्रतिनिधि बनाकर देश संभालने के लिए भेजती है, कि उसे अमन-चैन से रहने मिलेगा, उसके पास रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, भोजन, आवास की मूलभूत सुविधाएं होंगी, उसे एक बेहतर जीवन जीने मिलेगा। लेकिन इन पैमानों पर अगर मोदी सरकार को परखें तो वह पूरी तरह नाकामयाब साबित होगी। सरकार न लोगों की उम्मीदें पूरी कर रही है, न उन्हें उनके हक दे रही है और न ही उन्हें आवाज उठाने की इजाजत दे रही है। देश भर में सीएए के खिलाफ जो विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं, उसे दबाने की कोशिशें की जा रही हैं। कुछ समय पहले मद्रास हाईकोर्ट ने इसी तरह प्रदर्शन को रोकने के लिए फटकार लगाई थी और अब दिल्ली की अदालत ने इसी तरह की टिप्पणी की है। जिस संविधान को पढ़ने का जिक्र अदालत ने किया है, उसे बचाने के लिए ही इस वक्त देश में जनता को सड़कों पर निकलना पड़ रहा है। लोग जगह-जगह संविधान की प्रस्तावना का पाठ कर रहे हैं। और अब अदालत की बात मानकर न केवल दिल्ली पुलिस बल्कि सरकार के सारे नुमाइंदों को भी संविधान पढ़ लेना चाहिए। अगर वे पूरी ईमानदारी से संविधान पढ़ेंगे तो उन्हें पता चलेगा कि यह देश किन विशेषताओं से बना हुआ है और इस खासियत को बचाने में संविधान की भूमिका कितनी अहम है। जल्द ही देश 70वां गणतंत्र दिवस मनाएगा और एक बार फिर संविधान पर सरकार बड़ी-बड़ी बातें करेगी। लेकिन इस ऊपरी दिखावे से बेहतर है कि वह सचमुच संविधान का पाठ करे और भारत के लोगों से उनके संवैधानिक अधिकार न छीने। 


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डीसीपी द्वारका जिला एन्टो अल्फोंस ने बताया कि सेक्टर चार की सड़क पर एक पांच सौ रुपये का नोट पड़ा था। इस नोट को देखने के बाद इलाके के लोग उसमें कोरोना वायरस होने की बात करने लगे।
बुध विहार में भी उड़ाई अफवाह दिल्ली के बुध विहार इलाके में शुक्रवार को ऐसा ही एक मामला सामने आया था, जिसमें एक शख्स इलाके के एक एटीएम से रुपये निकाल कर जा रहा था, तभी अनजाने में उसके रुपये नीचे गिर गए। उसे रुपयों के गिरने का पता ही नहीं चला और वह उन रुपयों को उठाए बिना ऐसे ही चला गया।
ऐसी घटनाएं राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सहित देश के कई राज्यों में बीते तीन-चार दिनों से बढ़ गई है। वहीं नोट में कोरोना होने की अफवाहों पर विराम देने के लिए पुलिस भी हर भरसक प्रयास कर रही है। दिल्ली पुलिस की तरफ से ऐसी अफवाहों से लोगों को बचने की अपील की गई है। लोगों से अफवाह फैलने पर तत्काल मामले की सूचना पुलिस को देने को कहा गया है।
इस सूचना पर मौके पर पुलिस पहुंच गई और उसने उस नोट को अपने कब्जे में लेकर जांच के लिए भेज दिया है। डीसीपी का कहना है कि शायद किसी के जेब से यह नोट गिर गया था, लेकिन उसे कोरोना वायरस से जोड़कर अफवाह उड़ा दी गई। फिलहाल पूरे मामले की जांच के बाद ही नोट के संबंध में कुछ बताया जा सकता है।
गोली मारो सालों को: हिंसा और घृणा का निर्माण