रमेशचन्द्र शर्मा नहीं जाते थे?' 'नहीं?' आम आदमी था, तो क्या हुआ, वह भी कुलबुला रहा था वह जानने के 'क्यों?' लिए कि वह पिछले जनम में क्या था। लिहाजा वह भी तिकड़म 'क्योंकि फीस के पैसे, ड्रेस के पैसे और किताबों के पैसे नहीं थे, भिड़ाकरठिए तक पहुँच गया। आयोजकों ने भी सोचा, चलो इस बार वह बोला। 'लड़कियों की शादी के बारे में क्या सोचते थे?' 'वही तो एक आम आदमी ही सही। कहने को भी हो जाएगा कि यह कार्यक्रम सबसे बड़ी चिंता थी', आम आदमी बोला। 'और लड़कों के बारे सिर्फखास आदमियों के लिए ही नहीं है। बिस्तरपर में?''उनके बारे में भी सोचता था कि इनका क्या होगा लेटो, मैडम ने कहा 'इसी पर?' आम आदमी ने और कैसे होगा? 'तुमने आड़ेवक्त के लिए कभीचार गद्देदार बिस्तर को देखते हुए पूछ। 'हाँ, इसी पर', पैसे जमा किए थेवा नहीं?' 'कैसे करता? थोड़ी-सी मैडम ने कहा। आम आदमी झिझकते हए बिस्तर पर आमदनी थी', आम आदमी झल्लाया, 'घर के खर्चे लेट गया। 'आँखें बंद कर लो और सोचो कि तुम ही नहीं संभलते थे।''तुम्हारी पत्नी की क्या इच्छा थी गहरी नींद में जा रहे हो', मैडम बोली। 'गहरी नींद तो और वह तुमने पूरी की या नहीं? 'उसकी इच्छा थी मुझे घर के गोदड़े पर ही आती है,आम आदमी ने कि हम दोनों भी एकदम नए कपड़े पहनकर घूमने कहा, 'यहाँ तो मुझे अटपटा लग रहा है।' 'कोशिश निकलें। किसी दिन बच्चों के साथ घूमें-फिरें,खाएँ- करो', मैडम ने कहा, 'ठीक है, अब तुम्हारी आँखें बंद हो रही है। तुम पिएँ। मगर ऐसा कभी नहीं हो सका।' 'माता-पिता की कोई इच्छा पूरी गहरी नींद में हो।अब तुमपीछेजा रहे हो, बहुत पीछे। अब तुम बताओ की?' 'माता-पिता गंगास्नान करना चाहते थे,आम आदमी ने कहा, कि तुम कौन हो?' 'आम आदमी', आम आदमी ने जवाब दिया। 'कभी इतने पैसे ही नहीं जुटे कि उन्हें गंगा स्नान करा देता।' 'घर "ठीक से पहचानो', मैडम ने कहा। पक्की बात, मैं आम आदमी ही बनवाया था?' 'कहाँ से बनवाता', आम आदमी बोला, 'रोटीहै,वह बोला। 'तम्हारा घर कैसा है?' 'साधारण-सा है। एक कमरा। कपड़ाही मुश्किल से हो पाता था।' 'तम बता सकते हो कि तुम इस रसोईघर, मोरी और देसी टॉयलेटा छत की जगह पतरे तुके हैं, आम जनम में फिर आम आदमी ही क्यों बने?' 'हाँ' आम आदमी नेका , आदमी ने बताया। 'तुम्हारे घर में कौन-कौन हैं? मैडम ने पूछा 'मेरी मेरे मरने के बाद जब यमराज ने चिलगुप्त से पूछा कि इस प्राणी ने घरवाली, दो लड़कियों और दो लड़के। मेरे बूढ़े माता-पिता ,आम कभी-मंदिर बनवाया, दरिद्रनारायणों को भोजन करवाया, कथाआदमी ने जवाब दिया। 'तुम्हारे घर में कौन क्या-क्या करता है?' 'मैं भागवत करवाई?' तो चित्रगुप्त ने कहा, 'नहीं, माराज, इसने ऐसा और मेरी घरवाली मजूरी करते थे। मेरा बाप बहुत बड़ा था, वह कुछ कुछ नहीं किया। तो यमराज ने कहा, 'जाओ, इसे फिर आम आदमी नहीं करता था। मेरी माँ कभी बीड़ी बनाती, कभी अगरबत्ती। मेरी का जनमदेदो।' 'तब तुमने कुछकहा?' 'हाँ, मैंने कहा कि मद्यराज लड़कियाँ घरों में कपड़ा-बर्तन का काम करतीं। मेरे लड़के होटल में आम आदमी अपनापेट भरेगा कि ये सबकरेगा। येसबकखाना हो तो काम करते थे', आम आदमी ने जवाब दिया। 'तुम्हरे बच्चे स्कूल हमें भी खास आदमी बना दो।' 'फिर तुम्हारी सुनवाई हुई?' - राज,आमआदमीकेपिछलेजनमका
राज,आमआदमीकेपिछलेजनमका