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पाकिस्तान में इसवर्षएड्स के9,565मरीजमिले बालिका और 426 165,000NTIII इस्लामाबाद (ईएमएस)। बाद 6,426 लोग इस बीमारी के पाकिस्तान में एचआईवी संक्रमण से संपर्क में आ गए। डेटा में कहा गया ग्रसित लोगों की संख्या लगातार कि 546 बालकों और 426 बढ़ती जा रही है। वर्तमान बालिकाओं सहित में पाकिस्तान में रोगियों 18,220 पुष और की संख्या 165,000 है 4,170 महिला मरीज और ये आंकड़ा लगातार एनएसीपी में पंजीकृत बढ़ता जा रहा है। राष्ट्रीय हैं। वर्ष के दौरान अकेले एड्स नियंत्रण कार्यक्रम सिंधके लरकानाशहरमें (एनएसीपी) ने जानकारी देते हुए एक छोटे-से क्षेत्र, गो डेरो में ही बताया कि इस वर्ष 9,565 एड्स के एइसके 895 मामले दर्ज किए गए। नए मामले सामने आए। एनएसीपी जिनमें से 754 बच्चे और 141 के आंकड़े के मुताविक केवल वयस्कहैं। अप्रैल से 30 नवंबर तक 36,902 लोग एनएसीपी के साथ लगभग 37,558 लोगों ने लरकाना पंजीकृत हैं, जिनमें से लगभग मेंएचआईवी जांचकराई थी, जिसमें 20,994 का इलाज चल रहा है। से 1,195 में संक्रामित वायरस की संक्रामक सीरिंज से इंजेक्शन लेने के संदिग्ध उपस्थिति पाई गई।


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डीसीपी द्वारका जिला एन्टो अल्फोंस ने बताया कि सेक्टर चार की सड़क पर एक पांच सौ रुपये का नोट पड़ा था। इस नोट को देखने के बाद इलाके के लोग उसमें कोरोना वायरस होने की बात करने लगे।
बुध विहार में भी उड़ाई अफवाह दिल्ली के बुध विहार इलाके में शुक्रवार को ऐसा ही एक मामला सामने आया था, जिसमें एक शख्स इलाके के एक एटीएम से रुपये निकाल कर जा रहा था, तभी अनजाने में उसके रुपये नीचे गिर गए। उसे रुपयों के गिरने का पता ही नहीं चला और वह उन रुपयों को उठाए बिना ऐसे ही चला गया।
ऐसी घटनाएं राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सहित देश के कई राज्यों में बीते तीन-चार दिनों से बढ़ गई है। वहीं नोट में कोरोना होने की अफवाहों पर विराम देने के लिए पुलिस भी हर भरसक प्रयास कर रही है। दिल्ली पुलिस की तरफ से ऐसी अफवाहों से लोगों को बचने की अपील की गई है। लोगों से अफवाह फैलने पर तत्काल मामले की सूचना पुलिस को देने को कहा गया है।
इस सूचना पर मौके पर पुलिस पहुंच गई और उसने उस नोट को अपने कब्जे में लेकर जांच के लिए भेज दिया है। डीसीपी का कहना है कि शायद किसी के जेब से यह नोट गिर गया था, लेकिन उसे कोरोना वायरस से जोड़कर अफवाह उड़ा दी गई। फिलहाल पूरे मामले की जांच के बाद ही नोट के संबंध में कुछ बताया जा सकता है।
गोली मारो सालों को: हिंसा और घृणा का निर्माण