ईश्वर की पूजन में सबसे अधिक महत्व दीपक प्रज्ज्वलित करने का होता है। दीपक के बिना किसी भी भगवान की पूजन करना अधूरा कार्य माना गया है। पूजन का दीपक सिर्फ अंधेरे को ही दूर नहीं करता है, वरन् हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करता है। पूजन में शास्त्रोक्तविधि से दीपक लगाने से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं तथा उनकी कृपा हम पर बरसना प्रारम्भ हो जाती ईश्वर की पूजन में सबसे अधिक महत्व दीपक प्रज्ज्वलित करने का होता है। दीपक के बिना किसी भी भगवान की पूजन करना अधूरा कार्य माना गया है। पूजन का दीपक सिर्फ अंधेरे को ही दूर नहीं करता है, वरन् हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करता है। पूजन में शास्त्रोक्तविधि से दीपक लगाने से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं तथा उनकी कृपा हम पर बरसना प्रारम्भ हो जाती है। हम प्राय- अपने घर के मंदिर में प्रतिदिन सुबह एवं शाम को भगवान के समीप दीपक प्रज्ज्वलित करते है। दीपक जलते ही अनेक प्रकार के वास्तुदोष नष्ट हो जाते हैं। दीपक के प्रज्ज्वलित होने के पश्चात् उसके प्रकाश एवं धुंए से वातावरण शुद्ध होने के साथ अनेक प्रकार के कीटाणुओं से घर मुक्तहो जाता है। विषैले कोयनारोजाई दीपक प्रज्जवलित करने के पूर्व दीपक को पूजन में कैसे रखा जाय इस हेतु विशेष परम्परा है। पूजा केसमयदीपक जमीन परन रखें बल्कि दीपक को अक्षत (चावल) पर रखना चाहिये। प्रतिदिन सूर्यास्त के समय दीपक प्रज्ज्वलित करना श्रेष्ठसमझा गया है क्योंकि इससे लक्ष्मी की प्राप्ति का योग बनता है। घर में दीपक लगाने के पश्चात् यह मंत्रजप करना चाहियेदीपो ज्योतिः परं ब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दनः। दीपो हरतु मे पापं सांध्यदीप! नमोऽस्तु ते।। शुभं करोतु कल्याणमारोग्यं सुखसंपदम्। शत्रुबुद्धिविनाशं चदीपज्योतिनंमोऽस्तुते।। इसमलके जप सेघरमें परिवारके सभी सदस्यों की आय में अपार वृद्धि होती है।
ईशआराधनामें दीपककास्थान