तीसरी दीवार

तीसरीदीवार मे परिणवा होकर महान कार्यबलते है। - विनोबा भावे प्रसंग जबगुरुनानकके आगेझकाबगदादके शासककासिर.. जिन्होंने इनकी कहानी को सुनने के बाद अपनी खुशी का क्या? क्या मेरी खुशी में आपकी खुशी बकवासकररहेको पता है?" मिस्टर मेहता ने तैश फीस कम करने की बात करके उसे दोगने से कुछ नहीं है?" प्रतीकनेजवाब देने की बजाय उनसे ही में आते हए कहा। "मैं बकवास नहीं कर रहा हूँ। ज्यादा बढ़ा दिया था। इस बात काएहसास इन दोनों सवाल पूछ। "हमें समाज के साथ चलना होता सच बोल रहा हूं." प्रतीक ने हाथ में लिया हुआ को है, पर कोर्ट परिसर में मौजूद काले चोगे वाला है,"वमा जी का जवाब। "तो क्या आपके लिए कागज का टुकड़ा मिस्टर मेहता की ओर बढ़ा कोई भी भलामानुष ऐसा ही करता। खैर अब दोनों समाज की अहमियत मुझसे ज्यादा है?" "यी दिया। "शादी ब्याह बच्चों का खेल है क्या?" नवविवाहित दंपति बस से उतरने के बाद अपने सवाल मैं तुमसे भी पूछसकता हूं, क्या तुम्हारे लिए कागज हवा में लहराते हुए."ये क्या बचपना है?" अपने घरों की तरफ चल चुके हैं, बिल्कुल पहले उस लड़की का प्यार अपने माता-पिता के प्यार से "बचपना नहीं मैरेज सोफिकेट है," प्रतीक ने की तरह पहली दीवार यानी इस आत्मग्लानि कि बढ़करहो गया है?" "मैंने ऐसा तो नहीं कहा पर तुरंत का। "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई,ऐसा करने 'इस तरह विवाह करके गलत कररहे हैं' कोपारा ,मैं अपनी जिंदगी को अपने हिसाब से जीना की?" गुस्से से आग बबूला मेहता जी ने कहा। पहली दीवारः हाथ में अपने दस्तावेजों की "गुप्ताजी ने कहा है कि कल अपनी शादी का पाने की जोखुशीइनके चेहरों परझलकही थी वह चाहता है। मैं किसके साथ अपना जीवन बिताना 'जब इंसान के पास कोई दूसरा रास्ता नहीं होता तो फाइल पकड़े परेशान चेहरों वाले लोग और काले सर्टीफिकेट मिल जाएगा। चलो चलें," प्रतीक ने मद्धम पड़ने लगी है। चाहूंगा यह फैसला करने का हक मेरा होना हिम्मत अपने आप आ जाती है।" प्रतीक के इस चोगे में अपने लिए आसामी इंह रहे वकीलों की उत्साह से का। पलक की कोई प्रतिक्रिया न दूसरी दीवारः प्रतीक का मुंहलटका हुआ है। चाहिए." यह कहकर प्रतीक ने दीवार के दूसरे जवाब के बाद बगल में बैठी मिसेज मेहता बोल भीड़कोर्टपरिसरकी पारंपरिक पहचान है। फैमिली देखकर उसे उकसाते हुए जानबूझकरका, "क्या अभिभावकों को मना लेने का दावा करनेवाले हिस्से की ओरका स्वकिया। प्रतीक के जाने के पड़ी,"बड़ों से बात करने की तमीज नहीं है?" कोर्ट के इस गहमा गहमी भरे माहौल में वहां की हुआ? इस शादी से खुश नहीं हो? चलोलगे हाथों प्रतीक को नहीं सूझ रहा है कि बात की शुरुआत बाद वर्मा जी और श्रीमती वर्मा के बीच बातचीत "आंटी तमीज है इसीलिए तो बताने आया हूँ। हलचल को नजरअंदाज करते हुए दोनों एक दूसरे तलाक के लिए भी अप्लाई कर देते है।" "बस कैसे की जाए? पर बताना तो है ही। दिल पर बोझ का लंबा दौर चला। उनके बीच क्या बातचीत हुई वला यदि हम भाग जाते तो।।" थोड़ी देर चुप की ओर देख रहेहैं। उनकी पलकें थोड़ी गीली हैं, पर वहीं वाकुछ औरबोलना है?" खीझीहुई मुस्कुराहट रखने से क्या फायदा? उसने कुछ सोचा, हिम्मत यह हमें नहीं पता पर इतना स्पष्ट हो रहा है कि रहने के बाद मिस्टर मेहता,"अपने घर पर आंखों में चमक है। ऐसा लग रहा है मानों आंखों के साथ पलक ने जवाब दिया। "अरे मैंने जुटाई और ड्रॉइंग रूम का स्व किया। वर्मा साहब आखिर में पुरानी समझदारपीड़ी, युवा लापरवाहपर बताया?" आंखों में संवाद चल रहा हो। काफी देर तक इसी कागजात को साक्षी मानकर तुम्हे खुश रखने का हरिके जानेमाने व्यापारी हैं। इनमें हरि परखने का अपनी धुनकी पक्की पीढ़ी के सामने एकबारफिर "।" "तुम्हारे घरवालेण्याकहरहेहैं?" मुद्रा में रहने के बाद प्रतीक ने पलक के हाथ को वचन दिया था। सो वही निभाने की बात करहाहूं। लाजवाब हुनर है। प्रतीक इनका इकलौता बेटा है। से हथियार डालने की मुद्रा में दिख रही है। इतिहास "जो आप कह रहे हैं।" "कहेंगे ही ना, हमें थामा तो पलक उसकी ओर खिंची चली आई। हम लोग कोर्ट के कैम्पस में ही हैं। बार-बार आना सुबहका समय है। वे ड्राइंग रूम में बैठेहैं। चाय की साक्षी है कि संतान प्रेम में समाज को अप्रिय लगने समाज को भी जवाब देना होता है,"दुखी स्वर में "तो आखिरकार पहली दीवार टूट ही गई," नहीं पड़ेगा,"प्रतीक के कहते ही सुबह से मुरझाए चुस्कियों के साथ इकोनॉमिक्स टाइम्स पढ़ना वाले ऐसे कई फैसले पहले भी लिए गए हैं। हमारा मिस्टर मेहता ने कहा। "हम भी यही चाहते हैं कि प्रतीक ने बड़ी सौम्यता से कहा। "पर यह तो दोनों के चेहरे चंद पलों के लिए खिल गए। अब इनकी पसंदीदाआदत है। उनकी आंखों कीचमक ऑब्जर्वेशन है कि दूसरी दीवार का पहला हिस्सा समाजकोयहबात आपलोगों के द्वारा ही पताचले। कानूनी जीत है ना। अब अगली दीवार को तोड़ना एक दूसरे का हाथ थामे दोनों कोर्ट परिसर से बाहर बयां कर रही है कि मार्केट की उठापटक इनके हित थोड़ा कमजोर पड़ने लगा है। दीवार के इस तरफ़ प्लीज एकबारहम लोगों के दृष्टिकोण से सोचकर नहीं पिघलाना है," प्रतीक के हाथ को और कस निकल रहे हैं, दूसरी दीवार में सेंध लगाने के लिए में रही है। पर इन्हें क्या पता इनका सबसे बड़ा पहले से ही चिंता का माहौल है। मिस्टर मेहता को देखिएना!" "ठीकहैतुम अभी जाओ।हमारेयहां कर पकड़ते हुए पलक ने थोड़ी चिंतातुर आवाज में बस स्टॉप की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। अब इस अहित हो चुका है। "पापा मुझे आप से एक जली इस बात की चिंता है कि पलक की शादी के लिए मेहमान आनेवाले हैं। मैं नहीं चाहता को इस बारे में कहा। प्रतीक की आंखों में सहमति देखकर उसने कहानी की पृष्ठभूमि को धोम स्पष्ट कर देना बात करनी है," थोड़ा झिझकते हुए प्रतीक ने कहा योग्य वर नहीं मिल रहा है। बेटी की शादी के लिए किसी को पता चले। हम इस बारे में सोचेंगे।" आगे कहना शुरू किया, "इस समय इस दीवार को चाहिए। यहकानी हैप्रतीकवा और पलक मेहता तो चश्मे के भीतर से बर्मा जी ने उस पर योग्य वर पिछले एक साल से ढूंढ रहे हैं। जिसने प्रतीक के बाहर निकलते ही मिस्टर और मिसेज फतह करने की खुशी से कहीं ज्यादा अपनों की की। प्रतीक एक न्यूज चैनल में प्रोड्यूसर है और प्रश्नवाचक दृष्टिडाली। "पापा मैंने औरपलकने जहां बताया उस दरवाजे तक गए। बड़ी मुश्किल मेहता एकसावपलक पर टूट पड़े। परिवार, समाज, भावना और स्नेह रूपी दीवारकी चिंताहो रही है।" पलक कंपनी सेक्रेट्री। संक्षेप में इनका रिश्ता कुछy शादी कर ली है।।" "क्या।" भौचक होकर से एक योग्य लड़का मिला था पर पलक ने पता इज्जत के इर्दगिर्दबने सवालों की झड़ी लगादी, पर "हां, हमारे लिए इसी दीवारका सबसे अधिक है कि तथाकथित पहली दीवार को तोड़ने से पहले उन्होंने पूछ। प्रतीक ने ऐसी बात कह दी जो वे नहीं उससे क्या क्या सवाल पूछे थे कि जब जवाब उसकी दृढ़ता जो कि उनके लिए बदतमीजी जैसी महत्व है,क्योंकि हमें अपनी नई जिंदगी की शुरुआत तक दोनों प्रेमी प्रेमिका थे और अब आधिकारिक शायद कभी नहीं सुनना चाहते। एक साथ न जाने मांगने उनके घरगए तो मेहताजीकी बड़ीफजीहत थी, के बाद उन्होंने भी हथियार डाल दिए। इसीकीसुरक्षापरिधि के बीचकनी है।" प्रतीक के पसेपति पत्नी है। सात साल के प्रेमसंबंध के बाद कितनी बिजलियां कौंधीउन्हें नहीं सूझ रहा है हुई थी। पलक की चिंता वह है कि साढ़े ग्यारह बज फिलहाल घर पर सन्नाटे-सी शांति पसरी हुई है। इस जवाब पर पलक ने अपने सिर औरपलकों को जब इन्होंने एक दूसरे से विवाह करने की इच्छा कि उससे क्या कहें? क्या करें? एक क्षण में हीन गए है पर अभी तक प्रतीक का कोई पता नहीं है। पलक अपने कमरे में औरमिस्टर और मिसेज मेहता हिलाकर सहमति जताई। तभी एड्वोकेट गुप्ता जाहिर की तो उम्मीद परसौ फीसदी खरा उतरते हुए जाने कितने सपने टूटकर चकनाचूर हो गए। जिस जैसे-जैसे घड़ी की सूईयां 12 के पास पहुंच रही अपने कमरे में बंद है। "अब क्या करें? इसने तो आए। उन्होंने प्रतीक को बगल में बुलाया। प्रतीक परिवार की इजत या कहें सब की दुाई देते हुए मामले को रफा दफा समझ चुके थे उसका जिन्न है, उसकी चिंता बढ़ते ही जा रही है। दरवाजे की हमें कहीं का भी नहीं छोड़ा." मिस्टर मेहता ने कहा। एकबारगुरुनानक बगदाद गए हुए थे। वहां का शासक बड़ा ही अत्याचारी था। वह जनता को कष्ट तो देता ही था, उनकी संपत्ति लूटकर अपने खजाने में जमा भी कर लिया करता था। उसे जब मालूम हुआ कि हिंदुस्तान से कोईसाधुपुख आया है तो वहनानकजी से मिलने उनके पास पहुंचा। कुशल समाचार पूछने के उपरांत नानकजी ने उससे 100 पत्थरगिरवी रखने की विनती की। शासक बोला, 'पत्थर गिरवी रखने में कोई आपत्ति नहीं है किंतु आप उन्हें ले कब जाएंगें?' 'आपके पूर्व ही मेरी मृत्यु होगी। मेरे मरणोपरांत, इस संसार में आपकी जीवन वाला समाप्त होनेपरजब आपमझसे मिलेंगे, तब इनपत्थरों को मझेदे दीजिएगा,' नानक बोले। आप भी कैसी बातें करते हैं, महाराजा भला इन पत्थरों को लेकर मैं वहां कैसे जा सकता हूं?' 'तो फिर जनता को चूस-चूसकर आप जो अपनेखजाने में नित्य वृद्धि किए जा रहे हैं, क्या वह सब यहीं छोड़ेंगे? उसे भी अपने साथ ले ही जाएंगे। बस साथ में मेरे इन पत्थरों को भी लेते आइएगा।' इतना सुनते ही उस दुराचारी की आंखें खुल गई। नानक के चरणों पर गिरकर उनसे क्षमा मांगने लगा। नानक ने कहा, 'मुझसे


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बुध विहार में भी उड़ाई अफवाह दिल्ली के बुध विहार इलाके में शुक्रवार को ऐसा ही एक मामला सामने आया था, जिसमें एक शख्स इलाके के एक एटीएम से रुपये निकाल कर जा रहा था, तभी अनजाने में उसके रुपये नीचे गिर गए। उसे रुपयों के गिरने का पता ही नहीं चला और वह उन रुपयों को उठाए बिना ऐसे ही चला गया।
ऐसी घटनाएं राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सहित देश के कई राज्यों में बीते तीन-चार दिनों से बढ़ गई है। वहीं नोट में कोरोना होने की अफवाहों पर विराम देने के लिए पुलिस भी हर भरसक प्रयास कर रही है। दिल्ली पुलिस की तरफ से ऐसी अफवाहों से लोगों को बचने की अपील की गई है। लोगों से अफवाह फैलने पर तत्काल मामले की सूचना पुलिस को देने को कहा गया है।
इस सूचना पर मौके पर पुलिस पहुंच गई और उसने उस नोट को अपने कब्जे में लेकर जांच के लिए भेज दिया है। डीसीपी का कहना है कि शायद किसी के जेब से यह नोट गिर गया था, लेकिन उसे कोरोना वायरस से जोड़कर अफवाह उड़ा दी गई। फिलहाल पूरे मामले की जांच के बाद ही नोट के संबंध में कुछ बताया जा सकता है।
गोली मारो सालों को: हिंसा और घृणा का निर्माण