खलनायक बनी शिवसेना

हाराष्ट्रमें 24 को अक्टूबरको आएचुनाव परिणाम के 20 दिन बाद भी मकोई दल या गठबंधन सरकार बनाने के लिए 145 के जादुई आंकड़े का जुगाड़नहीं कर सका। राज्य में किसी की सरकारनबनती देख राज्यपाल भगत सिंहकोश्यारी ने आखिरकार राज्य में महाराष्ट्रशासनलागकरने के लिए केंद्र को सिफारिश पत्र भेज दिया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के दस्तखत के साथ ही राज्य में अनुच्छेद 356 के तहत महाराष्ट्र शासन लागू हो गया। वर्ष 1960 में महाराष्ट्र के गठन के बाद यह तीसरा मौका है, जब राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा है। राज्य में पहली बार 17 फरवरी 1980 को राष्ट्रपति शासन लागूहुआ था। तब तत्कालीन मुख्यमंत्री शरद पवार के पास विधानसभा में पूर्ण बहुमत था, इसके बावजूद उन्होंने सदन भंगकरदिया गया था। तब 17 फरवरी से आठ जून 1980 तक यानी 112 दिन राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू रहा था। राज्य में दूसरी बार 28 सितंबर 2014 को राष्ट्रपति शासनलागूहुआ था। उस समय राज्य में कांग्रेस के पृथ्वीराज चव्ह्यण मुख्यमंत्री थे। कांग्रेस ने सरकारमें शामिलसहयोगीएनसीपी सहित अन्य सहयोगी दलोंसे किनाराकर लिया था, जिससे विधानसभाको समय से पहले भंगकरना पड़ा था। उस वक्त 28 सितंबर से 30 अक्टूबर 2014 तक राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हुआ था। महाराष्ट्र की राजनीति में अपराजित रहते हुए पवारने कुछसमय पहले ही 50 साल पूरेकिए हैं। कहा जाता है कि पवारकी सहमति के बिना महाराष्ट्र में पत्ता भी नहीं हिलता है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण महाराष्ट्र में तीसरी बार लगा राष्ट्रपति शासन है। राज्य में तीनों बार लगे राष्ट्रपति शासन में पहली बार जहां स्वयं पवार शामिल रहे, वहीं दूसरी बार उनकी पार्टी और कांग्रेस के बीच पैदा हुए मतभेद के कारण राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा। 12 नवंबर 2019 कोलगे राष्ट्रपति शासन में भी पवारकी भूमिका अहम है। खैर, अब जबकि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लग गया है तो इसका मतलब है कि राज्य का नियंलण राष्ट्रपति करेंगे। छलांकि, राष्ट्रपति राज्यपाल को राज्य से संबंधित फैसलेलेने का पूरा अधिकारदेते हैं। संविधान में आर्टिकल 352.356 और 365 में इसका प्रावधान भी है। अगर राष्ट्रपति को लगता है कि राज्य की सरकारठीक तरहसे काम नहीं कर रही है या फिरसस्कारगठित नहीं हो पाती है तो राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है। आर्टिकल 365 में प्रावधान है कि अगर राज्य सरकार केंद्र सरकार के संवैधानिक निर्देशों कोनहीं मानती हैतो भी राष्ट्रपतिशासनलगायाजासकता है। 352 में अर्थिक आपातकाल का जिक्र है। अगर अब तक के राष्ट्रपति शासन कानतिहास देखें तो अलग-अलगराज्यों में 126 बारराष्ट्रपतिशासनलगचका है। इसमें सबसे ज्यादा मणिपुर में 10 बार, पंजाब में नौ बार, उत्तर प्रदेश में नौ बार, बिार में आठबार, कर्नाटक में 6 बार, पुडुचेरी में 6 बार, ओडिशा में छह बार, केरलमेंचारबारराष्ट्रपति शासनलगा। इसके अलावा गुजरात में पांच बार, गोवा में पांच, मध्यप्रदेश में चार, राजस्थान में चार, तमिलनाइचार, नगालैंडमें चार, अमस में चार, हस्पिाणा में तीन, झारखंड में तीन, त्रिपुरा में तीन, मिजोरम में


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डीसीपी द्वारका जिला एन्टो अल्फोंस ने बताया कि सेक्टर चार की सड़क पर एक पांच सौ रुपये का नोट पड़ा था। इस नोट को देखने के बाद इलाके के लोग उसमें कोरोना वायरस होने की बात करने लगे।
बुध विहार में भी उड़ाई अफवाह दिल्ली के बुध विहार इलाके में शुक्रवार को ऐसा ही एक मामला सामने आया था, जिसमें एक शख्स इलाके के एक एटीएम से रुपये निकाल कर जा रहा था, तभी अनजाने में उसके रुपये नीचे गिर गए। उसे रुपयों के गिरने का पता ही नहीं चला और वह उन रुपयों को उठाए बिना ऐसे ही चला गया।
ऐसी घटनाएं राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सहित देश के कई राज्यों में बीते तीन-चार दिनों से बढ़ गई है। वहीं नोट में कोरोना होने की अफवाहों पर विराम देने के लिए पुलिस भी हर भरसक प्रयास कर रही है। दिल्ली पुलिस की तरफ से ऐसी अफवाहों से लोगों को बचने की अपील की गई है। लोगों से अफवाह फैलने पर तत्काल मामले की सूचना पुलिस को देने को कहा गया है।
इस सूचना पर मौके पर पुलिस पहुंच गई और उसने उस नोट को अपने कब्जे में लेकर जांच के लिए भेज दिया है। डीसीपी का कहना है कि शायद किसी के जेब से यह नोट गिर गया था, लेकिन उसे कोरोना वायरस से जोड़कर अफवाह उड़ा दी गई। फिलहाल पूरे मामले की जांच के बाद ही नोट के संबंध में कुछ बताया जा सकता है।
गोली मारो सालों को: हिंसा और घृणा का निर्माण